Tuesday, April 23, 2013

श्रीमद्भागवत [ भाग - 03 ]

कुछ पत्रों की परिचय [ भाग - 03 ] 

कृपाचार्य 

गौतम ऋषि के पुत्र शरद्वान धनुष - बाण के साथ पैदा हुए थे / इंद्र को बहुत चिता रहती थी कि कहीं उनका राज्य किसी दिन शरद्वान  के हांथों में न पहुँच जाए अतः इंद्र शरद्वान  के हर गतिविधि पर ध्यान रखते थे / एक दिन शरद्वान अपनें ध्यान में डूबे हुए थे और उधर इंद्र का सिंघाशन हिलनें लगा , ऐसा इंद्र को आभाष हुआ लेकिन ऐसा था नहीं , यह मात्र उनका भ्रम था / इंद्र शरद्वान के ध्यान को खंडित करनें के लिए एक देव कन्या भेजी / शरद्वान का ध्यान खंडित हुआ और देव कन्या को देखते ही वे काम के सम्मोहन में उलझ गए और उनका वीर्य खलित हो गया तथा एक सरकंडे पर जा गिरा / शरद्वान  के वीर्य से एक कन्या और एक पुत्र उत्पन्न हुए , कन्या का नाम था कृप और बालक कृपाचार्य के नाम से जाना गया / कौरव एवं पांडवों की प्रारभिक शिक्षा कृपाचार्य द्वारा संपन्न हुयी थी / महाभारत युद्ध में कौरव पक्ष से तीन लोग बचे थे - अश्वत्थामा , कृपाचार्य एवं कृतवर्मा / पांडव पक्ष से सात लोग युद्ध में बचे थे - पांच पांडव , सात्यकी और युयु त्सु/ युयुत्सु  धृतराष्ट्र  के पुत्र थे  लेकिन युद्ध क्षेत्र में पहुंचते ही पांडव - पक्ष में जा मिले थे / युद्ध प्रारम्भ होने से ठीक पहले युधिष्ठिर का रथ द्रोणाचार्य एवं भष्म पितामह के सामनें जा रुका था और युधिष्ठिर रथ से बाहर आये , दोनों  को प्रणाम किया और युद्ध विजय के लिए आशीर्वाद माँगा / युयुत्सु युधिष्ठिर के इस ब्यवहार से आकर्षित हो कर पांडव पक्ष में जा मिले थे / 

द्रोणाचार्य और कृपाचार्य दो प्रमुख भागवत / महाभारत के पात्रों से आप परिचित हुए / दोनों का जन्म माँ के गर्भ से न हो कर खुले वातावरण में मात्र पिता के वीर्य से हुआ था , क्या यह संभव भी है ?
ऋषियों के तप को भंग करनें के लिए  सबसे मजबूत कभीं न चूकनें वाले औजार के रूप में ख़ूबसूरत स्त्रियों का प्रयोग होता था , वह भी इन्द्र जैसे देवता किया करते थे ; यह बात गहराई से सोचनें की है , मात्र पढ़ कर इससे दूर रहनें की नहीं है / 

==== ओम् ====

Wednesday, April 10, 2013

श्रीमद् भागवत पुराण [ भाग - 02 ]

कुछ प्रमुख पात्रों से परिचय [ 01 ] 

[क] द्रोणाचार्य 

कौरव और पांडवों के युद्ध - विज्ञान के गुरु श्री द्रोणाचार्य जी पांडव पक्ष में  युद्ध - विज्ञान के एक प्रमुख सलाहकार एवं वैज्ञानिक हैं / गीता श्लोक - 1.25 में संजय धृत राष्ट्र को बता रहे हैं कि अब श्री कृष्ण अर्जुन  के रथ को भीष्म और द्रोणाचार्य के सामनें खडा किया है ; कथा कुछ इस प्रकार से हैं : अर्जुन गए तो थे युद्ध में विजय प्राप्ति की उम्मीद से युद्ध करनें लेकिन वहाँ भारी जन समुदायको जब देखा [ जिनमें कोई बाहरी न था सभीं उनके परिवार के सगे सम्बन्धी थे ] तब वे मोह के सम्मोहन में आगये और अर्जुन के मोह कि शुरुआत गीता श्लोक - 1.22 से होती  है जो  सम्पूर्ण गीता में बनी रहती है / 

ऐसा कहा जाता है कि युद्ध प्रारम्भ होनें के ठीक पहले युधिष्ठिर जी भी अपना रथ भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य के सामनें रोकवाया था और रथ से उतर कर दोनों को चरण स्पर्श किया और युद्ध विजय के लिए आशीर्वाद प्राप्त करनें की कामना की थी / युधिष्ठिर जी  के इस ब्यवहार को जब धृत राष्ट्र  के पुत्र युयुत्सु नें देखा तो अपनें को रोक न सका और पांडव सेना में जा मिला था / 

गंगा तट पर श्री भारद्वाज ऋषि ध्यान में डूबे हुए थे और जब सामनें एक अपसरा घृतार्ची को देखा तब उनके ऊपर काम का इतना गहरा सम्मोहन हुआ कि काम के बेग को सहन न कर पाए / ऋषि का वीर्य खलित हो गया और वे उस वीर्य को एक पात्र में रख दिया / कथा आगे कहती है कि कालान्तर में वही वीर्य द्रोणाचार्य का रूप लिया / 

काम - उर्जा को समझनें के लिए आप गीता में निम्न श्लोकों को देख सकते हैं :----
श्लोक - 3.37 - 3.43 तक + 5.23,5.26,7.11,10.28,14.12,16.21 

गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं , काम के सम्मोहन से मात्र वह बच सकता है जो आत्मा केंद्रित हो और ध्यान - योग में काम संसे मजबूत रुकावट है / 

आज के विज्ञान की दृष्टि से द्रोणाचार्य जि के जन्म से जुडी कहानी को आप देखें यदि आप  जीव विज्ञान में रूचि रखते हों / 

=== ओम् ====

Thursday, April 4, 2013

श्रीमद् भागवत पुराण [ भाग - 01 ]

परिचय 


  • श्रीमद् भागवत पुराण 18 खण्डों में विभक्त है 
  • युद्ध 18 दिनों तक चला था 
  • युद्ध में 18 [ 11 कौरव पक्ष + 07 पांडव पक्ष ] अक्षवनी सेनाएं भाग ली थी 
  • गीता 6वें खंड - भीष्म खंड [ 25 से 42 तक ] में दिया गया है 
  • गीता में 18 अध्याय हैं 
  • दोनों पक्षों से कुल 3,936,600 सैनिक इस में भाग लिए थे 
  • 08 लोग पांडव पक्ष से और 04 लोग कौरव पक्ष से जीवित बचे थे 
  • लगभग 21870 लोग प्रति दिन मारे जा रहे थे 

  • पांडव पक्ष :

  • द्वारका , काशी , कैकेय का एक भाग , मगध , छेदी , पांड्या , मथुरा का यदु कुल 

  • कौरव पक्ष :

  • Pragjotish,Matsya , Anga , Part of Kaikeya , sindhu desh , Maheshmati , Avanti , Gandhara , Balika , Kamboja ,Yavanas , Sakas , Tusharas .
  • उस समय भारत भूमि पर 16 महाजन पद थे जिस=नके बारे में आगे चल कर देखा जाएगा 

आज इन बातों पर ध्यान करें 

=== ओम् ====